Friday 5 September 2014

बवासीर आयुर्वेद चिकित्सा व घरेलू नुस्ख़े


आजकल आधुनिक परिवेश गलत खान-पान और अधिकाधिक मांसाहार प्रवृत्ति से सीधे ताल्लुक रखने वाले लोग पेट की समस्या से जूझ रहे हैं जिसके कारण (पाइल्स, भगंदर या नासूर (फिस्टुला) और गुद्चीर (फिशर) से ग्रसित हो रहे हैं !
कुछ रोगी शुरुआत में इन रोगों को शर्म के कारण छुपाते रहते हैं और यह रोग धीरे धीरे गंभीरता को धारण कर लेता है !
नीम हकीमों और झोला छाप डॉक्टरों के भ्रामक विज्ञापन जाल से यह और अधिक बढ जाता है !

बवासीर क्या है- ?

-बवासीर गुदाद्वार के निचले हिस्से में मौजूद रक्त शिराओं में आने वाली सूजन है। हालांकि यह गुदाद्वार के भीतर होता है, लेकिन कई बार आप इसे गुदाद्वार के बाहर भी एक उभरे हुए मस्सों के रूप में महसूस कर सकते हैं। इस स्थिति को 'प्रोलैप्स' बवासीर कहते हैं। अकसर तीन में से एक व्यक्ति को किसी न किसी उम्र में बवासीर अवश्य होता है।

-कैसे पता लगे कि मुझे बवासीर है-?

-बवासीर एक तकलीफ दायक स्थिति है, इसमें शुरुआत में गुदाद्वार के सिरे पर खुजली आती है और अगर बवासीर की तकलीफ बढ ज़ाए तो इस जगह पर दर्द भी होता है और कई बार खून भी आने लगता है। आप को गुदाद्वार के हिस्से में भारीपन सा महसूस होता है या फि शौच के समय तकलीफ या दर्द भी होता है। शौच के बाद कई बार आपको अंदर के कपडो पर खून के धब्बे भी नजर आते हैं। यदि आप का बवासीर मस्से के रूप में बाहर आ जाए तो शौच के बाद धोते समय आप इन मस्सों को अपने हाथों पर भी महसूस कर सकते हैं।

-यह क्यों होता है-?

-इसका सबसे मुख्य कारण है कब्ज की परेशानी, अकसर कब्ज से ग्रस्त व्यक्ति शौच के समय काफी जोर लगाते हैं। इससे गुदाद्वार की नसों पर दवाब पडता है। जिसके परिणामस्वरूप ये नसें सूजकर बडी हो जाती है और मसों का रूप ले लेती है। गर्भावस्था और प्रसूति के दौरान यह समस्या ज्यादा होती है जिसके कारण बवासीर होने का भ्रम भी हो जाता है।

-क्या शुरुआत में ही इसे रोकने का कोई उपाय है-?

-आप जितना ज्यादा हो सके अपने भोजन में रेशेदार पदार्थ ज्यादा शामिल करें। खाद्यान्न अधिक खाएं, फल व सब्जी का उपयोग ज्यादा करें। रेशेदार और तरल पदार्थ आप के मल को कम कर देते हैं। जिससे यह आंतों के जरिए सहजता से फिसलकर बाहर आ जाता है। यानि आप अपने भोजन में अतिरिक्त रेशेदार पदार्थ शामिल करना चाहें या अपने वजन पर नियंत्रण रखना चाहें तो अपने डॉक्टर से अपनी आहार तालिका संबंधी सलाह लें।
-कुछ लोग शल्य क्रिया करवा लेते हैं परन्तु यह रोग पेट की खराबी के कारण फिर से हो जाता है !
इसीलिए इन रोगों में आयुर्वेद अमृत तुल्य कार्य करता है इससे रोग जड से समाप्त हो जाता है !
-एक बार बवासीर की तकलीफ से छुटकारा पाने के बाद, इसे दोबारा होने से रोकने के लिए आपको कइ तरह की सावधानियां अपनानी चाहिए -
-जैसे:- ध्यान रखें, अपने भोजन में अधिक रेशेदार पदार्थ शामिल करें और हर दिन ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। फास्ट-फूड से परहेज करें। नियमित समय पर भोजन की आदत डालें। एक बार में कम भोजन करें, थोडे-थोडे समय के अवसर पर कई बार खाएं, धीरे-धीरें खाएं, भोजन को अच्छी तरह चबाकर खाएं। भोजन में ताजे फल, पत्ते वाली सब्जियां और सलाद अधिक खाएं। तनावमुक्त रहने की कोशिश करें। नियमित व्यायाम करें, योगा व ध्यान से खुद को तनावमुक्त बनााएं। मल त्याग करते समय ताकत न लगाएं। सही भोजन और ज्यादा पानी पीने से आपका मल बिना किसी तकलीफ के आसानी से अपने आप बाहर आ जाएगा।

ऐसा न करें

तीखे चटपटे और मसालेदार या तला हुआ भोजन न खाएं। धूम्रपान न करें। पान, तंबाकू, गुटखा या पान मसाला न खााएं। कडक़ चाय या काफी न पिएं। मद्यपान या कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन न करें।
-कुछ कब्ज से छुटकारा पाने के उपाय -
-एरंड तैल 20ml प्रति सप्ताह
-पंचसकार या त्रिफला या इसबगोल चूर्ण सोते समय
-अभ्यारिषट या कुमारी आसव 20ml भोजन उपरांत !
-अधिक जानकारी के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें ! या 09818069989 पर हमें कॉल करें.
लेख़क: 
डॉ नवीन चौहान
कंसलटेंट आयुर्वेद फिजिशियन व बवासीर भगंदर विशेषज्ञ 
मोबाइल : ०९८१८०६९९८९

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