Friday 4 December 2015

बदलते मौसम की बीमारियों को दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय



बदलते मौसम की बीमारियों को दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय 



बदलते मौसम के साथ ही मौसमी बीमारियां भी अपना असर दिखाना शुरू कर देती हैं। गले में खराश, सिरदर्द, सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियों की चपेट में लोग आने लगते हैं। मौसम के बदलाव के हिसाब से हमारा शरीर वातावरण में हो रहे बदलाव को झेल नहीं पाता है और हम मौसमी रोगों के शीघ्र शिकार हो जाते है। ऐसे में जरूरी है एहतियात। इसके लिए आयुर्वेद में कई ऐसे घरेलू उपाय बताए गए हैं, जिनका नियमित रूप से इस्तेमाल करके आप मौसम के असर को कम कर सकती हैं।

गले में खराश हो और नाक सर्दी की वजह से बंद। एक गिलास गर्म पानी में चुटकी भर नमक डालकर गरारा करें। इससे आपका गला साफ होगा और यह वायरस को दुबारा आपके शरीर में प्रवेश करने से रोकेगा। सर्दी-जुकाम से परेशान हों, तो सुबह-शाम शहद के साथ अदरक चबाकर खाएं।


इन दिनों यदि दूध में हल्‍दी डालकर पिएं, तो इससे कफ और जुकाम में राहत मिलती है।


अदरक, तुलसी और काली मिर्च वाली एक कप गर्म चाय भी सर्दी से राहत पाने का असरदार घरेलू उपाय है।


जुकाम हो, तो हल्दी को जलाकर इसका धुआं लें। इससे नाक से पानी बहना तेज हो जाएगा और तुंरत जुकाम से आराम मिलेगा।


सूप में लहसुन की कलियों को उबालकर पिएं। सर्दी-जुकाम में शीघ्र ही लाभ मिलता है।

सर्दी-जुकाम में तुलसी पत्ता बहुत कारगर है। आप चाहें तो तुलसी के पत्तों को चबाकर खाएं या फिर पानी काढ़ा बना कर पिएं, दोनों ही तरीके से फायदेमंद है। तुलसी की पत्तियों का काढ़ा बनाने के लिए एक गिलास पानी में 8-10 तुलसी के पत्ते, 4 काली मिर्च के दाने, एक छोटा टुकड़ा दालचीनी, थोड़ा-सा अदरक, गुड़ मिलाकर इसे तब तक धीमी आंच पर पकाएं, जब तक की पानी आधा गिलास न रह जाए। इसका सेवन आपको सर्दी की समस्या में आराम दिलाता है और मौसम जनित अन्य समस्याओं से भी दूर रखता है।


मौसम बदल रहा है और इसका सीधा असर सेहत पर भी दिखने लगा है। मौसम से जुड़ी इन समस्याओं से खुद को बचाना चाहते हैं, तो सेहत की जतन अभी से कर लें.

Sunday 8 March 2015

सुहागा ( Borax ) के औषधीय प्रयोग

सुहागा ( Borax )
नाम : कनक क्षार, सुहागाचौकी, रसघ्न, धातु द्रावक, सौभाग्य, टंकण आदि सुहागा के नाम है।
गुण : सुहागा पेट की जलन, बलगम, वायु तथा पित्त को नष्ट करता है, और धातुओं को द्रवित करता है।

विभिन्न बीमारियों में सुहागा :
स्वरभंग : सुहागा को पीसकर चुटकी भर चूसने से बैठी हुई आवाज खुल जाती है।
जुकाम :
तवे पर सुहागा को सेंककर पीस ले। इसे चुटकी भर 1 घूंट गर्म पानी में घोलकर रोजाना 4 बार पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।
भूना सुहागा आधा ग्राम गर्म पानी से सुबह-शाम लेने से नजला ठीक हो जाता है।
पसीना :
1 चम्मच पिसा हुआ सुहागा एक बाल्टी पानी में मिलाकर नहाने से अधिक पसीना आना और शरीर से दुर्गन्ध आना बंद हो जाती है।
अजीर्ण : बच्चा सोते-सोते रोने लगे, दही की तरह जमे दूध की उल्टी करे, हरे रंग का अतिसार (दस्त) हो तो समझे कि बच्चे को खाया हुआ पचता नहीं है। बच्चे की पाचनशक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) ठीक करने के लिए भुना सुहागा चुटकी भर दूध में घोलकर 2 बार पिलाने से लाभ होता है।
पेट फूलना, दूध उलटना : तवे पर सुहागे को सेंक कर बच्चों को चटाने से पेट फूलना और दूध पीकर वापिस निकाल देने का रोग दूर हो जाता है।
फरास : 50 ग्राम सुहागे को तवे पर भूनकर पीस लें। 1 चम्मच सुहागा, 1 चम्मच नारियल का तेल और 1 चम्मच दही को मिलाकर सिर में मलने और आधे घंटे के बाद सिर को धोने से सिर की फरास समाप्त हो जाती है।
तिल्ली : 30 ग्राम भुना हुआ सुहागा और 100 ग्राम राई को पीसकर मैदा की छलनी से छान लें। इसे आधा चम्मच रोजाना 7 सप्ताह तक 2 बार पानी से फंकी लें। तिल्ली सिकुड कर अपनी सामान्य अवस्था में आ जायेगी, भूख अच्छी लगेगी और शरीर में शक्ति का संचार होगा।
चर्मरोग : सुहागे के तेल को चमड़ी पर लगाने से चमड़ी के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
बाल रोग : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शुद्ध सुहागा शहद के साथ बच्चों को दिन में 2-3 बार देने से बच्चों की खांसी और सांस के रोग दूर होते हैं।
अंडकोष की वृद्धि : 6 ग्राम भुने सुहागे को गुड़ में मिलाकर इसकी 3 गोलियां बनाकर 1-1 गोली 3 दिन सुबह हल्के गर्म घी के साथ सेवन करने से अंडकोष की वृद्धि रुक जाती है।
कर्णरोग : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सुहागा कान में दिन में 2-3 बार डालने से कान के रोग ठीक हो जाते हैं।
अंडकोष की खुजली : लगभग 116 ग्राम पानी में 4 ग्राम सुहागा को घोलकर रोजाना 2-3 बार अंडकोष धोने से खुजली मिट जाती है।
आंख आना : आंख आने पर सुहागा और फिटकरी को एक साथ पानी में घोल बनाकर आंख को धोने और बीच-बीच में बूंद-बूंद (आई डरोप्स) की तरह आंखों मे डालने से बहुत जल्दी लाभ होता है।
दमा :
लगभग 75 ग्राम भुना हुआ सुहागा 100 ग्राम शहद में मिला ले इसे सोते समय 1 चम्मच की मात्रा में लेकर चाटने से श्वास रोग (दमा) में बहुत लाभ होता है।
लगभग 30 ग्राम पिसे हुए सुहागे को 60 ग्राम शहद में मिलाकर रख दें। कुछ दिनों तक 3 अंगुली भर चाटते रहने से श्वास रोग (दमा) खत्म हो जाता है।
सुहागे का फूला और मुलहठी को अलग-अलग पकाकर या पीसकर कपड़े में छानकर बारीक चूर्ण बना लें और फिर इन दोनों औषधियों को बराबर मात्रा में मिलाकर किसी शीशी में सुरक्षित रख लें। आधा ग्राम से 1 ग्राम तक इस चूर्ण को दिन में 2-3 बार शहद के साथ चाटने से या गर्म पानी के साथ लेने से दमा के रोग में लाभ मिलता है। बच्चों के लिए लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा या आयु के अनुसार कुछ अधिक दें। इसका सेवन करने से श्वास (दमा), खांसी तथा जुकाम नष्ट हो जाता है। इस औषधि का सेवन करते समय दही, केला चावल तथा ठंडे पदाथों का सेवन नहीं करना चाहिए।
आंखों का दर्द : भुने हुए सुहागे को पीसकर कपडे़ में छानकर सलाई से सुबह और शाम आंखों में लगाने से आराम आता है।
दांतों को साफ और मजूबत बनाने के लियें :
सुहागा को फुलाकर उसमें मिश्री मिलाकर बारीक पीस कर रोजाना मंजन करने से दांत साफ और मजबूत होते हैं।
लकड़ी के कोयले में सुहागा मिलाकर बारीक पाउडर बना लें तथा बांस या नीम के दांतुन पर लगाकर मंजन करें। इससे दांत साफ और मजबूत होते हैं।
काली खांसी (कुकर खांसी) :
सुहागा, कलमी शोरा, फिटकरी, कालानमक और यवक्षार को पीसकर चूर्ण तैयार कर इसे तवे पर भूनकर 2-2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर बच्चों को चटाने से कालीखांसी ठीक हो जाती है।
तवे पर भुना हुआ सुहागा व वंशलोचन को मिलाकर शहद के साथ रोगी बच्चे को चटाने से काली खांसी दूर हो जाती है।
बालों के रोग :
20 ग्राम सुहागा और 10 ग्राम कपूर को 50 ग्राम उबले पानी में मिलाकर हल्के गर्म पानी के साथ धोने से बाल मुलायम तथा काले हो जाते हैं।
5 ग्राम सुहागा और 10 ग्राम कच्चे सुहागे को 250 ग्राम पानी में डालकर उबाल लें। इसके ठंडा होने पर बालों को धोने सें बाल मजबूत बनते हैं।
खांसी :
5-5 ग्राम भूना हुआ सुहागा और कालीमिर्च को पीसकर कंवार गंदल के रस में मिलाकर कालीमिर्च के बराबर की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। 1 या आधी गोली को मां के दूध के साथ बच्चों को देने से खांसी के रोग मे आराम आता है।
बलगम वाली खांसी और बुखार वाली खांसी में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम सुहागे की खील (लावा) को सुबह-शाम शहद के साथ देने से लाभ मिलता है।
सुहागे को तवे पर गर्म करके फुलायें फिर उसका चूर्ण बनाकर पीसे। इसमें से 1 चुटकी चूर्ण लेकर शहद के साथ चाटने से खांसी बंद हो जाती है।
दांत निकलना :
भुना हुआ सुहागा और शहद को मिलाकर बच्चे के मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलें। इससे दांत आसानी से निकल आते हैं तथा मसूड़ों का दर्द कम होता है।
सुहागा को शहद के साथ पीसकर बच्चों के मसूढ़ो पर मलें। इससे बच्चों के नये दांत आसानी से निकल आते हैं और दर्द में आराम मिलता है।
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग भुनी सुहागा को शहद में मिलाकर बच्चों के मसूडें पर मलने से दांत आसानी से निकल आते हैं।
10 ग्राम भुना सुहागा और 10 ग्राम पिसी हुई मुलहठी लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग चूर्ण में शहद मिलाकर मसूड़ों पर मलें। इससे बच्चों के दांत निकलते समय दर्द नहीं होता तथा बार-बार दस्त आना बंद हो जाता है।
पायरिया :
सुहागा एवं बोल (हीराबोल) को मिलाकर रोजाना 2 से 3 बार मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलें। इससे दांतों व मसूढ़ों के सभी रोग ठीक होकर पायरिया रोग दूर होता है।
5-5 ग्राम भूना सुहागा, समुन्दर झाग 8-8 ग्राम त्रिफला पिसा, सेंधा नमक, 0.12 ग्राम सतपोदीना, सतअजवायन को पीसकर और छानकर 50 ग्राम पिसी खड़िया मिलाकर कपडे में छानकर सुबह-शाम मंजन करने से पायरिया ठीक हो जाता है।
निमोनिया :
3 ग्राम सुहागा भुना और नीला थोथा भुना हुआ पीसकर अदरक के रस में बाजरे के बराबर आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लेते हैं। इसमें से 1-1 गोली मां के दूध के साथ सेवन करने से निमोनिया रोग ठीक हो जाता है।
1 चुटकी फूला सुहागा, 1 चुटकी फूली फिटकरी, 1 चम्मच तुलसी का रस, 1 चम्मच अदरक का रस, आधा चम्मच पान के पत्तों के रस को एक साथ मिलाकर शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से निमोनिया के रोग मे लाभ होता है।
बालों का झड़ना (गंजेपन का रोग) : 20 ग्राम सुहागा और 20 ग्राम कपूर को बारीक पीसकर पानी में घोलकर बाल धोने से बालों का गिरना कम हो जाता है।
जुओं का पड़ना : 20 ग्राम सुहागा और 20 ग्राम फिटकरी को 250 ग्राम पानी में मिलाकर सिर पर मालिश करने से सिर की जूएं मर जाती है।
जीभ की प्रदाह और सूजन : सुहागा की टिकीया चूसते रहने से जीभ की जलन और सूजन का रोग ठीक होता है।
मसूढ़ों का फोंड़ा : मसूढ़ों के फोड़े में सुहागा एवं हीरा बोल को मिलाकर मसूढ़ों पर मलें। इससे मसूढ़ों का दर्द व फोड़ों से पीप का निकलना बंद होता है।
मसूढ़ों की सूजन : हीरा बोल और सुहागा को मिलाकर मसूढ़ों पर पर धीरे-धीरे मलने से मसूढ़ों की सूजन मिट जाती है

Friday 6 February 2015

स्वाइन फ्लू से घातक सामान्य फ्लू

स्वाइन फ्लू से घातक सामान्य फ्लू
इन दिनों स्वाइन फ्लू की खबरें सुर्खियों में हैं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि सामान्य फ्लू की तुलना में स्वाइन फ्लू कम खतरनाक है।
देश में स्वाइन फ्लू से हुई मौतें
चूंकि 2009-10 में भारत के लोगों को पहली बार इसका सामना करना पड़ा, इसलिए तब ज्यादा मौतें हुई। आम तौर पर सामान्य फ्लू से होने वाली मौतों की मीडिया में रिपोर्ट नहीं होती, इसलिए उसके बारे ज्यादा खबरें नहीं आती हैं।
वर्ष        मौतें
2009    - 981
2010     -1,763
2011     -75
2012     -405
2013     -699
2014     -218
आंकड़े-स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
विशेषज्ञों के अनुसार
5,000 संक्रमित व्यक्तियों में से एक की मौत की आशंका सामान्य फ्लू से
10,000 संक्रमित व्यक्तियों में से एक से कम की मौत की आशंका स्वाइन फ्लू से



Saturday 13 December 2014

जब ठंड में परेशान करे जुकाम-खांसी : अपनाएं ये उपचार | Cough : Ayurveda Health tips in winter

Cough : Ayurveda Health tips in winter
जब ठंड में परेशान करे जुकाम-खांसी : अपनाएं ये  उपचार


 सर्दी में होने वाली सबसे आम समस्या है खांसी-जुकाम, जिसे लोग अक्सर अनदेखा कर देते हैं। यह छोटी सी दिखने वाली परेशानी भी नज़रंदाज़ करने पर घातक हो सकती है इसलिए इसे अनदेखा तो बिलकुल भी न करें।

जुकाम क्या है

जुकाम एक तरह की एलर्जी है, जिसमें नाक से पानी निकलने लगता है। ये कोई बीमारी नहीं, बल्कि श्वसन तंत्र में एलर्जी या इन्फेक्शन होने का एक लक्षण है जो यदि लम्बे समय तक बना रहे तो निमोनिया और श्वसन तन्त्र से जुड़ी दूसरी बीमारियों को दर्शाता है।

हाई रिस्क ग्रुप 


बच्चे, बूढ़े, शुगर, हाई बीपी, टीबी, दमा, हेपटाइटिस व एनीमिया के मरीज, कुपोषण के रोगी जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है व जिनमें एलर्जी की टेंडेंसी हो उन्हें जुकाम जल्दी होता है।

जुकाम के लक्षणों को ऐसे पहचानें

1. यदि नाक से निकलने वाला पानी पतला और सफेद हो तो समझें कि सामान्य जुकाम है। फिक्र की जरूरत नहीं है।

2. अगर पानी गाढ़ा हो तो समझें कि इन्फेक्शन ज्यादा हो गया है। तुरंत ही अपने डॉक्टर को दिखाएं।

3. नाक बंद हो तो वायरल व बैक्टीरियल दोनों तरह के इन्फेक्शन हो सकते हैं। वायरल इन्फेक्शन है तो स्टीम और एंटी-एलर्जिक दवा से ठीक हो जाएगा, नहीं तो आयुष इलाज या एंटीबायोटिक्स लेनी होंगी।

4. अगर स्राव हरा रेशेदार हो, तो इन्फेक्शन है। समझें कि बात बढ़ रही है और तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

5. अगर कफ के साथ खून भी आए तो खतरनाक है। टीबी का लक्षण हो सकता है। फौरन डॉक्टर को दिखाएं।
जुकाम के कुछ सामान्य उपचार-

समस्या


हल्का सर्दी जुकाम हो तो क्या करें ?

उपचार-


1. दो कप पानी में एक चौथाई छोटी चम्मच सोंठ, दस तुलसी की पत्तिया, पांच छोटी पीपल और थोडा सा गुड़ मिलाकर खौला लें। जब यह अच्छी तरह खौल जाये तो चाय की तरह घूंट-घूंटकर पीने से सर्दी-जुकाम में लाभ मिलता है।

2. अपने भोजन में अदरक का प्रयोग अधिक करें। चाय, सब्जी, दाल, सलाद आदि में अदरक को लेते रहने से जुकाम की परेशानी से बचा जा सकता है।

3. विटामिन-सी के प्रयोग से जुकाम को काबू में रखा जा सकता है। अत: अपने भोजन में नींबू का प्रयोग ज़रूर करें।

समस्या-


इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कोई आसान उपाय बताएं ?

उपचार-


1. सुबह उठकर बिना कुछ खाए पांच लहसुन की कलियों को खाने से शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

2. अजवाइन के बीजों को कुचलकर एक पतले साफ सूती कपडे में बांधकर सोने से पहले सूंघते रहने से काफी लाभ पहुंचता है।

3. एक कप दूध में दो कप पानी मिलाकर इसमें दस कालीमिर्च, और दस तुलसी के पत्तियों को मिलाकर खौला लें। हल्का गुनगुना पीने से जुकाम ख़ास तौर से वायरल इन्फेक्शन वाले जुखाम में लाभ होता है।

4. एक चम्मच शहद में थोड़ी सी पीसी हुई काली मिर्च का पाऊडर डाल कर मिलाएं और उसे चाटें।

5. तुलसी, काली मिर्च और अदरक की चाय खांसी में सबसे बढि़या रहती हैं।

समस्या-


बार बार नाक बंद हो जाती है ;क्या करा जाय ?

उपचार-


रात में सोते समय दोनों नाक में दो-दो बूंद सरसों का तेल पांच दिनों तक लगातार डालें तो खांसी-सर्दी और सांस की बीमारियां दूर हो जाएंगी। सर्दियों में नाक बंद हो जाने के दुख से मुक्ति मिलेगी और शरीर में हल्कापन मालूम होगा।

समस्या-


बार बार होने वाली खांसी में क्या करूं ?

उपचार-


मुलहठी और मिश्री को नींबू के रस में मिलाकर लेने से खांसी कम करने में मदद मिलती है।

पिप्पली , काली मिर्च, सौंठ और मुलहठी का चूर्ण बनाकर चौथाई चम्मच शहद के साथ लेना अच्छा रहता है।

समस्या-


पुराने जुखाम के कारण सिरदर्द रहता है क्या करें ?

उपचार-


एक बड़ी चम्मच काली मिर्च का चूर्ण एक चुटकी हल्दी के साथ एक प्याले दूध में उबालें। दो तीन दिन तक लगातार इसका सेवन करते रहें। माइग्रेन के दर्द में आराम मिलेगा।

समस्या-


मेरा गला अक्सर ही बैठ जाता है कोई आसान इलाज बताएं?

उपचार-


गला बैठ जाने वाले रोगियों को हम मुलेठी के चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर खाने की सलाह देते हैं। इससे बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है। इसके अलावा सोते समय एक ग्राम मुलेठी के 2 gm चूर्ण को मुंह में रखकर चबाते रहें ; फिर वैसे ही मुंह में रखकर सो जाएं। सुबह तक गला साफ हो जायेगा। गले के दर्द और सूजन में भी आराम आ जाता है।

समस्या-

मुझे टांसिल्स हो जाते है क्या आयुर्वेद में आसान इलाज है ?

उपचार-

एक प्याला (200 ml) दूध में 2 ग्राम पिसी हल्दी मिलाकर उबालें; और छानकर चीनी मिलाकर पीने को दें। आमतौर पर अधिकांश रोगियों में सोते समय इसे पीने पर तीन चार दिन में ही आराम मिल जाता है।

समस्या-

पुरानी खांसी रहती है कोई इलाज बताइये ?

उपचार-

एक चम्मच अनार की सूखी छाल बारीक पीसकर, छानकर उसमें थोड़ा सा कपूर मिलायें। यह पाउडर दिन में दो बार पानी के साथ मिलाकर पीने से पुरानी खांसी में आराम होता है।

समस्या-

सूखी खांसी से परेशान हूं क्या करूं ?

उपचार-

1. 1 ग्राम हल्दी के पाउडर को एक चम्मच शहद में मिलाकर लेने से भी सूखी खांसी में आराम हो जाता है।

2. सूखी खांसी के लिए आने वाले रोगियों को हम छोटे से अदरक के टुकड़े को छीलकर और उस पर थोड़ा सा नमक छिड़क कर चूसने की सलाह देते हैं।

3. नींबू के रस में 2 चम्मच ग्लिसरीन और 2 चम्मच शहद मिलाकर मिश्रण बना लें और रोजाना इस मिश्रण का 1 चम्मच सेवन करने से सूखी खांसी से काफी राहत मिलेगी।

समस्या-

बैक्टीरियल इन्फेक्शन वाली खांसी डायग्नोज़ हुई है; कोई आसान इलाज बताएं -

उपचार-

जो खांसी टी.बी., अस्थमा और ब्रौन्काइटिस के कारण उत्पन्न होती है उसमें हम लौंग का तेल, अदरक और लहसुन का मिश्रण हर रात को सोने से पहले लेने की सलाह देते हैं।

समस्या-

मेरे सीने में बलगम जमा हो गया है कोई आसान इलाज बताएं-

उपचार-

1. सीने में बलगम के जमाव को निकालने के लिए अंजीर बहुत ही उपयोगी होते हैं।

2. अदरक को पानी में 10-15 मिनट के लिए उबाल लें और उसमें एक दो चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर दिन में तीन चार बार पीयें। ऐसा करने से आपका बलगम बाहर निकलता रहेगा और आपको खांसी में लाभ पहुंचेगा।
खान पान और आहार-

1. ऐसे रोगियों में हम रोजाना के खान पान में ठंडे भोजन के सेवन से बचने की सलाह देते हैं क्योंकि इससे आपके गले की उत्तेजना और अधिक उग्र हो सकती है।

2. किसी भी तरल पदार्थ को पीने से पहले उसे गर्म ज़रूर करें।

3. खान पान में पुराने चावल का प्रयोग करना भी लाभदायक होता है ऐसा हमारा अनुभव है।

4. ऐसे खान-पान का सेवन बिलकुल ना करें जिससे शरीर को ठंडक पहुंचे। खीरे, हरे केले, तरबूज, पपीता और संतरों के सेवन को थोड़े दिनों के लिए त्याग दें।
ऐसा करें-

1. सुबह ब्रश करते समय अंगूठे से अपने तालू को हल्का सा दबाएं। यह क्रिया बैठकर करें। तालू को हाथ के अंगूठे से साफ करें।

2. जिन लोगों को एलर्जी से जुकाम हो जाता हो तो पुरानी चीजें जैसे पुरानी किताबें, अलमारियां, काफी समय से न पहने गए कपड़े और कालीन साफ करके रखें। इनमें बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं जो कि आपको खांसी भी कर सकते हैं।

3. पानी घूंट-घूंट करके पीएं। इससे कफ नहीं बढ़ता।

4. जुकाम व फ्लू का इंफेक्शन होने पर घर में कपूर और गुग्गुलु जलाएं। इसके धुएं से घर का वातावरण शुद्ध होता है और वायरस दूर हो जाता है।
यह ना करें-

1. सुबह के समय बिस्तर से उठकर नंगे पैर ना चलें।

2. जाड़ों में ठंडी चीजें जैसे दही, चावल, ठंडा पानी, आइसक्रीम, केला, चॉकलेट और ठंडा दूध अधिक नहीं लें। फ्रिज में रखी चीजें व ज्यादा मीठा न लें।
योग चिकित्सा-

किसी अच्छे योग चिकित्सक या प्रशिक्षक से निम्न क्रियाएं सीख लें-

जलनेति, कपालभाति, सूर्य नमस्कार, उत्तानपादासन, धनुरासन व भस्त्रिका प्राणायाम, लेटकर साइकल चलाने की क्रिया रोज़ करें।

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सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ॥


डॉ.स्वास्तिक
चिकित्सा अधिकारी
(आयुष विभाग, उत्तराखंड शासन) 


NOTE: ये सूचना सिर्फ आपके ज्ञानवर्धन हेतु है. किसी भी गंभीर रोग से पीड़ित होने पर चिकित्सक के परामर्श के बाद अथवा लेखक के परामर्श के बाद ही कोई दवा लें. लेखक से drswastikjain@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.

Monday 10 November 2014

Osteoarthritis: An Ayurvedic view | संधिवात और आयुर्वेद

Osteoarthritis: An Ayurvedic view संधिवात और आयुर्वेद 



ऑस्टियोआर्थराइटिस को आयुर्वेद में  संधिवात के रूप में जाना जाता है, जो कि जोडों का विकार है। इसका मतलब है, कि हमारे शरीर के निचले हिस्से की हड्डियों को सपोर्ट देने वाले सुरक्षात्मक कार्टिलेज और कोमल ऊतकों का किसी कारणवश टूटना शुरू होना हैं। इस हालत में किसी भी गतिविधि के बाद या आराम की लंबी अवधि के बाद जोड़ों का लचिलापन कम हो जाता है और वो सख्त हो जाते हैं, और दर्द दायक बनते हैं। 

प्रमुख लक्षण (symtpoms):

संधिवात में शरीर के बड़े जोड़ जैसे घुटने व कूल्हे अधिक प्रभावित होते हैं. प्रभावित जोड़ों में निम्न लक्षण पाए जाते हैं;
  1. जोड़ों में दर्द 
  2. जोड़ों में सूज़न
  3. प्रभावित जोड़ के ऊपर की त्वचा का गरम महसूस होना
  4. चलने फिरने में कठिनाई का अनुभव होना - जब बीमारी पुरानी हो जाती है तो मामूली चलने या खड़े होने में भी अत्यधिक दर्द होता है.

आयुर्वेद चिकित्सा (Ayurvedic treatments):

ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए एलोपैथिक दर्द निवारक दवाओं से उपचार के अलावा, आयुर्वेदिक इलाज भी उपलब्ध हैं व नए रोगी अथवा जो रोगी ऐलोपैथिक दवाओं का लम्बे समय से सेवन कर रहे हैं, वे आयुर्वेद चिकित्सा अपना सकते हैं, क्योंकि एलोपैथिक दर्द निवारक दवाओं का लम्बे समय तक सेवन किडनी व लीवर पर बुरा प्रभाव डाल सकता है.
जैसा कि आप जानते हैं, आयुर्वेद कहता हैं की शरीर में तीन जीव-ऊर्जा या दोष होते हैं, जो हमारे शरीर के विभिन्न कार्यों को नियंत्रित करते हैं। वात, कफ और पित्त यह उनके नाम हैं। जब एक व्यक्ति किसी भी प्रकार की बीमारी से ग्रस्त होता है, तब यह इन दोषों में असंतुलन की वजह से होता हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस वात दोष में एक असंतुलन के कारण होता है और इसलिए ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए आयुर्वेदिक इलाज में वात को संतुलित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जिससे व्यक्ति को दर्द से राहत मिलने में आसानी होती हैं। संधिवात के आयुर्वेदिक इलाज में निम्न औषधियों (herbs) की महत्वपूर्ण भूमिका है;
  • गुग्गुल – ऊतकों को मजबूत बनाने के लिए व यह एंटी-इंफ्लेमेटरी भी होता है जिससे दर्द कम होता है.
  • त्रिफला – विषैले तत्वो को शरीर से साफ करने का कार्य करता है.
  • अश्वगंधा – शरीर और मन को आराम और तंत्रिका तंत्र को उत्तेजना प्रदान करता है व स्ट्रेस को कम करता है.
  • कॅस्टर(एरंडी) तेल – दर्द होनेवाले क्षेत्र में लगाने के साथ, ही इसका सेवन भी लिया जा सकता है क्योंकि यह एक प्रभावी वातशामक औषधि है.
  • बला – शरीर में रक्त परिसंचरण को बढ़ाने के लिए, दर्द को कम करने के लिए, नसों को ठीक करने के साथ ही शरीर में ऊतकों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है.
  • शालाकी – अपने सूजन विरोधी गुणों के लिए और शरीर की हड्डियों के करीब के ऊतकों की मरम्मत करने में सक्षम होने के गुण के लिए उपयोगी हैं.
बाजार में विभिन्न आयुर्वेदिक दवाएं उपलब्ध हैं, जो ऑस्टियोआर्थराइटिस से राहत और ठीक करने में मददगार साबित होती हैं। हालांकि, चिकित्सक और एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक होता हैं, क्योंकि वो आपकी बीमारी के अनुसार सही दवा देने में सक्षम होते हैं। दवाओं के अलावा आयुर्वेद में
ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज के लिए अन्य उपचार भी हैं। यह सब उपचार कई आयुर्वेदिक चिकित्सा केन्द्रों में उपलब्ध होते हैं। इन उपचारों में से कुछ हैं –

  • अभ्यंग या वाह्य स्नेहन  – यह एक हर्बल तेल मालिश है, जो ऊतकों को मजबूत बनाने और रक्त परिसंचरण में सुधार ला सकती हैं. वातदोष के शमन में तेलों की अहम् भूमिका होती है. अतः संधिवात के इलाज में आयुर्वेदीय औषधि सिद्ध तेलों द्वारा चिकित्सक के निर्देशन में की गयी मालिश बहुत लाभकारी सिद्ध होती है.
  • स्वेदन  – एक औषधीय भाप स्नान शरीर दर्द को कम करने और शरीर के विषैले तत्वों को कम करने के लिए उपयोग किया जाता हैं.
  • जानुबस्ति – यह घुटनों की आर्थराइटिस के लिए एक विशेष चिकित्सा है जिसमें घुटने की आयुर्वेदिक औषधि सिद्ध तेल से एक विशेष विधि द्वारा सिकाई की जाती है.

अन्य ध्यान रखने वाली बातें 

उपरोक्त उपचारों के अलावा, कुछ अन्य बातें भी हैं जिनको ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए आयुर्वेदिक उपचार करते वक्त ध्यान में रखा जाना चाहिए।
  •  हर रोज 30 से 40 मिनट चलना खुद को बहुत थकाये नहीं
  •  नियमित भोजन में घी और तेल को मध्यम मात्रा में शामिल करे, क्योंकि वह ऊतकों और जोड़ों चिकनापन और लचिलापन बनाए रखने में मदद करते हैं।
  •  डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से बचें, हर रोज ताजा खाना बनाए और जब खाना गरम हो तभी खाना खाने की कोशिश करे।
  •  हर कीमत पर साफ्टड्रिंक और कार्बोनेटड पेय से बचें क्योंकि वे शरीर के कार्य़ को नुकसान पहुंचाते हैं।
  • मसालेदार, तीखा और अत्य धिक तेलयुक्त भोजन से बचें।
नोट: यह लेख पाठकों के ज्ञान वर्धन के लिए है, यहाँ बताई गयी औषधियों का सेवन व अन्य उपचार किसी क्वालिफाइड आयुर्वेद चिकिस्तक की देख-रेख में ही लें.