Saturday 30 August 2014

मधुमेह (Diabetes) एवं आयुर्वेद : कारण, लक्षण व उपचार



मधुमेह (डायबिटीज ) नामक रोग में व्यक्ति बार-बार अधिक मात्र में क्लेद युक्त गाढ़ी चिपचिपी मूत्र करता है ,
मधुमेह दो शब्दों को मिलाकर बना है मधु और मेह, मधु यानि मधुर ,मीठा और मेह यानि पेशाब ।
मेहन का अर्थ है मुत्रेंद्रिया जिसके द्वारा मूत्र निसरण (निकलता है ) किया जाता है ....पीड़ित व्यक्ति पुनः पुनः अधिक मात्र में पेशाब करता है ,अत्यधिक थकान और दुर्बलता का अनुभव करता है ।

रक्त में शर्करा की मात्र अत्यधिक बढ़ जाने से शारीर के अंगों पर इसके बहुत सारे दुष्प्रभाव होते हैं -
सामान्य व्यक्ति में आहार से उत्पन्न शर्करा का अग्नाशय में पाचन होता है जिसमे इंसुलिन नामक होर्मोने के सहयोग से चयापचय होता है , लेकिन मधुमेह में अग्नाशय में इंसुलिन के निर्माण के हेतु महत्त्वपूर्ण बीटा सेल नष्ट हो जाते हैं, जिससे इंसुलिन का निर्माण नहीं होता .... कई बार जेनेटिक अब्नोर्मलिटी के कारण इंसुलिन मोलेकुल का रिसेप्टर उसे एक्सेप्ट नहीं करता ....... जिसके कारण शर्करा का उपयोग शारीर में उर्जा उत्पन्न करने के लिए नहीं होता ....और अतिरिक्त शर्करा रक्त में ही रह जाती है जो की खतरनाक है ।

मधुमेह के रोगी का शारीर दुर्बल हो जाता है ,क्लेद की अधिकता से शारीर के धातु (शारीर के मूलभूत तत्त्व रस, रक्त, मांस, इत्यादि ) का गलन होने लगता है .रक्त में शर्करा की मात्रा अधिक होने के कारण यदि कोई संक्रमण होता है तो वह मुश्किल से ठीक हो पाता है । रक्त में बढ़ी शर्करा जीवाणुओं के बढ़त के लिए उत्तम माध्यम का काम करती है ।

मधुमेह के सामान्य कारण -1.अत्यधिक मात्रा में गरिष्ठ ,घी तेल चिकनाई युक्त आहार , देर में पचने युक्त आहार का सेवन करना ।
2.नए अन्न यानि के एक वर्ष से पहले उगाया हुआ अन्ना नवान्न होता है ,हमेशा एक वर्ष पुराने अनाज का सेवन करें ,क्योंकि नए अन्न में क्लेद की मात्र अधिक होती है जिस से मधुमेह होने की सम्भावना होती है ,मधुमेह के रोगी भी इसका परहेज करें ।
3.अधिक मात्र में गुड ,चावल श्रीखंड इत्यादि का सेवन करना ,आटे के व्यंजन जैसे मठरी बालुशाई इत्यादि ।
4. दिवा स्वप्न यानि की दिन में सोना , यह कफ वर्धक होता है , एक आसन पर अधिक समय तक बैठे रहना , पैदल नहीं चलना, लगातार ए. सी. में बैठे रहना और व्यायाम का अभाव से मधुमेह हो सकता है ।
5. मानसिक कारण जैसे चिंता भय उद्वेग और तनाव ग्रस्त जीवन एक प्रमुख कारण है ।
6. अनुवांशिक कारण भी महत्त्वपूर्ण है ।
7. अधिक मात्रा में शराब , पिज़्ज़ा , बर्गर , देर से पचने वाले आहार का लगातार सेवन ।
इन कारणों से मधुमेह रोग की उत्पत्ति होती है।

उपचार एवं आहार -
1. रोग से सम्बंधित लक्षण नजर आने पर अपने पास के आयुर्वेद के डॉक्टर को दिखाना चाहिए। आयुर्वेद में इस रोग का अच्छा उपचार मौजूद है।
2. इस रोग से बचने के लिए जिन कारणों से यह रोग होता है उनका त्याग करना चाहिए, रोग से पीड़ित व्यक्ति को अपने खून में मौजूद शुगर के लेवल की काम से काम सप्ताह में एक बार जाँच जरूर करनी चाहिए।
3. जामुन , करेला , आमला, गिलोय का सेवन करना चाहिए , पानी अधिक पीना चाहिए , सुबह के समय खुली हवा में टहलना चाहिए। त्रिफला और शिलाजीत का सेवन भी लाभदायक होता है।
4. गोंद, बेसन , सोंठ , हल्दी को मिलाकर लड्डू बना लें इनका सेवन दिन में दो बार करें लड्डू में मीठा न मिलाये , लड्डू को गूंथने के लिए ओलिव आयल या सोयाबीन के तेल का प्रयोग करें।
इन बातों का ध्यान रखकर आप इस रोग से बच सकते है।


लेखक:
डॉ. अभिषेक गोयल 
अशोकनगर, मध्यप्रदेश 

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